नीतू श्रीवास्तव समाज हित में कार्य कर बनी महिलाओं के लिए मिशाल

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दुर्ग :अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 08 मार्च को मनाया जाता है. इस दिन विभिन्न क्षेत्रों जैसे सामाजिक, राजनैतिक, या अन्य क्षेत्रों में कार्यरत महिलायें जो अपने-अपने क्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल की हैं उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए इस दिन महिलाओं को सम्मान देने के उद्देश्य से उत्सव के तौर पर यह दिवस बनाया जाता है। पुरुष प्रधान देश में महिलाओं ने अपनी काबिलियत के दम पर और हुनर का परचम लहराया हैं। जिससे आज महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। समाज के हर क्षेत्र में अपनी कार्य कुशलता का बेहद सजगता से परिचय दे रही हैं। अब महिलाएं अबला नही सबला हैं। कई प्रमुख क्षेत्रों में कार्यरत महिलायें अपने दायित्वों का बखूबी निर्वाहन कर रही हैं। ऐसे ही समाज सेवा के क्षेत्र में एक मुकाम हासिल करने वाली दुर्ग जिले की बेटी हैं – श्रुति फाउंडेशन की संस्थापिका एवं अध्यक्ष श्रीमती नीतू श्रीवास्तव. उनसे साक्षात्कार के दौरान उन्होंने अपने कुछ व्यक्तिगत एवं कार्य क्षेत्रों के बारे में चर्चा की. श्रीमती श्रीवास्तव ने बताया जन्म भिलाई छत्तीसगढ़ में हुआ, शिक्षा भिलाई से डबल एम ए( समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र)आई टी आई इलेक्ट्रॉनिक्स पति मनोज श्रीवास्तव, शौक-लिखना ,पेंटिंग, समाजसेवा, परिवार में सास,पति, 2 बच्चे एक बेटी एक बेटा है। शादी हुई नया परिवार मिला और इन सब मे मैंने कही न कही फिर अपनी सोच अपने काम अपनी समाजसेवा की खुशी को मन के किसी कोने में दबा दिया. शादी के बाद कुछ सालों तक बच्चो को सम्हाली । बच्चे थोड़े समझदार हुए तो ट्यूशन क्लास लेती थी।प्रोफेशनली ब्यूटीशियन होने के कारण अपना ब्यूटी पार्लर खोली साथ-साथ समाजसेवा भी कर रही थी। 5 साल तक मेरा ब्यूटी पार्लर था। पर समाजसेवा का ऐसा जुनून मेरे अंदर था कि मैं समाजसेवा में अपना पूरा टाइम नही दे पा रही थी और मैंने पैसो को अहमियत न देकर अपने सपनो को चुनी उस फील्ड को चुनी जो मेरा जुनून था। 9 साल पहले मैं अपनी सोच अपने सपनो को एक रूप देने का सोची ओर समाजसेवा के फील्ड में आगे आई। परिवार का पूर्ण सहयोग मिला मुझे, और वर्तमान में भी मिल रहा है.

समाजसेवी नीतू श्रीवास्तव ने बताया, मेरे परिवार ने मेरी खुशी और मेरे काम का सम्मान किया और आगे बढ़ने में मेरा हर पल साथ दिए। आज मैं जो कुछ भी हूँ, अपने परिवार,मित्रगण,ईश्वर की कृपा से हूँ। कई छोटे-छोटे कार्यो को अंजाम देने के बाद लगा कि अब सामाजिक संघटनो के साथ जुड़कर कार्य करना चाइये। तब जाकर मैं अपने समाज के कई संघटनो से जुड़कर कई कार्य किये। जिसके अंतर्गत दिल्ली में 1 गरीब परिवार के लड़के का हिप रिप्लेस मेन्ट का ऑपरेशन करवाई।
उन्होंने आगे बताया – समाजसेवा में आने की प्रेरणा मुझे स्कूल टाइम से मिली जब मैं स्काउट गाइड में थी। एक संस्था द्वारा हमे कुष्ठ उन्मूलन शिविर में ले जाया जाता था, रोगियो की सेवा कैसे की जाती है. ये सिखाया और बताया जाता था हमे शिविर में। इस तरह मेरा झुकाव दीन- दुखियो की तरफ होने लगा। और समय के साथ-साथ सेवा की भावना भी बढ़ती गई। दुसरो के दुख अपने से लगने लगे. तभी मैंने निर्णय लिया कितनी भी व्यस्त दिनचर्या हो अपना समय समाजसेवा में जरूर दूँगी। पर ये सारे काम ,सारे शौक़ शादी के पहले नही कर पाई। कुछ समय का अभाव रहा यह कह लीजिए किसी ने इतना प्रोत्साहित नही किया जिस कारण मैं इस काम को अंजाम उस लेवल तक नही दे पाई जो चाहती थी।
श्रीमती श्रीवास्तव जमीनी स्तर पर कार्य करके खुद को इस फील्ड में अलग साबित कर पा रही हैं. उन्होंने कहा – ‘हम शासन-प्रशासन के सहयोग से भी कई कार्यो को अंजाम दे सकते है मददगार और शासन के बीच की कड़ी बनकर। अर्थात बहुत से कार्य माध्यम बनकर भी किये जा सकते है। जो हम कर रहे….
आने वाले समय मे हम वृद्धाश्रम ओर अनाथ आश्रम 1 ही छत के नीचे बनाना चाहते है। ताकि बच्चो को बड़ो का प्यार और स्नेह मिलता रहे। और बुजुर्गों को इन बच्चो में अपना परिवार मिल जाये। साथ ही साथ गरीबो का इंग्लिश मीडियम स्कूल बनाना चाहते है हम। जहां सारी शिक्षा निशुल्क हो। ताकि हमारे देश का हर बच्चा अंग्रजी माध्यम की शिक्षा भी हासिल कर सके और पूर्ण शिक्षित हो। महिला सशक्तिकरण के ऊपर भी निरंतर कार्य जारी है. महिलाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर को तराशना भी संस्था द्वारा कार्य किया जा रहा है. 2 मार्च 2019 को श्रुतिफाउंडेशन छत्तीसगढ़ की स्थापना की.संस्था बनाकर हम वो सभी सामाजिक कार्य कर रहे जो समाज हित के लिए जरूरी है.’

नीतू श्रीवास्तव के अनुसार, अगर आप के अंदर जुनून है और कुछ करने की चाह है। तो अपने आत्मविश्वास को बनाये रखे। परेशानियां और संघर्ष के दौर से घबराए नही। संघर्ष के दौर में भले आप के साथ कोई न हो पर कामयाबी मिलते ही आप के पीछे पूरा करवा होगा। जब तक आप खुद अपनी काबलियत को नही पहचानेगी कोई आप को न समझेगा न जानेगा।
श्रीमती नीतू श्रीवास्तव ने समाजसेवा से उनके अंतर्मन के अनुभव शेयर किया। वे आगे कहती हैं, बहुत खुश हूं कि समाजसेवा मेरा शौक मेरी खुशी थी स्कूल टाइम से पर जो मैं उस टाइम नही कर पाई विगत 9 सालों से कर रही हूँ। समाज सेवा के माध्यम से मैं अब तक कई लोगो तक पहुच चुकी हूं। क्युकि समाजसेवा का कोई निश्चित दायरा नही होता। ये तो वो काम है जो दुनिया के किसी भी कोने पर रह कर किया जा सकता है। बस दिल मे लगन और मेहनत होना चाइये।

श्रीमती नीतू श्रीवास्तव को कई अवार्डस से सम्मानित किया गया :

  • नेशनल अवार्ड बेटिया अवार्ड : मैत्री एक परिचय द्वारा दिल्ली में प्राप्त हुवा।
  • ब्लड डोनेशन के कुछ अवार्ड
  • बूजुर्गो की चौपाल द्वारा अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  • महिला दिवस के अवसर पर कई अवार्ड से सम्मानित हुई।
    अन्य कई अवार्ड

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