आज से शुरू हो रहे हैं पितृ पक्ष

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: आज से पितृ पक्ष आरंभ हो चुके हैं। इस बार पितृपक्ष 16 दिन के हैं। भाद्रपद माह के पूर्णिमा तिथि से लेकर अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृपक्ष चलते हैं। पितृपक्ष की शुरुआत अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि यानी आज 10 सितंबर 2022 से हो रही है।

वहीं इसकी समाप्ति अश्विन माह की अमावस्या यानी कि 25 सितंबर को होगी। पितृपक्ष यानी श्राद्ध का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष में पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। श्राद्ध न केवल पितरों की मुक्ति के लिए किया जाता है, बल्कि उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए भी किया जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं पितृ पक्ष से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां और पूजा मुहूर्त के बारे में।

पितृ पक्ष का दिनांक और समय
कुतुप मुहूर्त: 10 सितंबर, शनिवार, दोपहर 11.59- दोपहर 12.49 बजे तक
रौहिण मुहूर्त: 10 सितंबर, शनिवार, दोपहर 12.49- दोपहर 01.38 बजे तक
अपराह्न काल: 10 सितंबर, शनिवार, दोपहर 01:38- सायं 04:08 तक

श्राद्ध के प्रकार
मत्सय पुराण के अनुसार श्राद्ध वैसे तो 12 प्रकार के होते हैं लेकिन इसके तीन मुख्य प्रकार बताए गए हैं- नित्य, नैमित्तिक और काम्य।
नित्य श्राद्ध: नित्य श्राद्ध वे हैं जो अर्घ्य तथा आह्वान के बिना किए जाते हैं। यह श्राद्ध एक निश्चित अवसर पर किए जाते हैं। यह श्राद्ध मूल रूप से अष्टक और अमावस्या के दिन किया जाता है।

नैमित्तिक श्राद्ध: नैमित्तिक श्राद्ध मुख्य रूप से देवताओं के लिए किया जाने वाला श्राद्ध है। यह श्राद्ध किसी ऐसे अवसर पर किया जाता है जो अनिश्चित होता है। यदि श्राद्ध पक्ष के दौरान संतान जन्म होता है तो ऐसे समय में नैमित्तिक श्राद्ध किया जाता है।

काम्य श्राद्ध: यदि आप कोई विशेष फल प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए आप काम्य श्राद्ध कर सकते हैं। कई लोग स्वर्ग की कामना, मोक्ष की प्राप्ति या संतान की कामना के लिए काम्य श्राद्ध करते हैं

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