उपेक्षित और बदहाल… गंगा मुंडा तालाब .. धरोहर को दरकिनार करने के पीछे नकारापन या फिर नींद में हैं जिम्मेदार
छठ पर्व के बाद नहीं हुई है सफाई ..गंदगी,शराब बीयर की खाली बोतलें सड़ी हुई फूल मालाएं और कचरे से पटी पड़ी है तालाब की सीढ़ियां …
जगदलपुर(ब्यूरो/भारत सत्ता) एक तरफ शहर के जनप्रतिनिधि और तमाम जिम्मेदार लोग शहर में विकास और स्वच्छता की बात करते हैं दूसरी तरफ स्थानीय गंगा मुंडा तालाब लंबे समय से उपेक्षित और बदहाली के अवस्था में अपनी गरिमा और अस्तित्व को खोने के कगार पर है। इसे लेकर चारों तरफ अजीब सी खामोशी है जो आश्चर्यजनक है और इसका परिणाम क्या है तालाब को जाकर देखा जा सकता है जिसे देखकर लगता है की इसकी सुध लेने वाला ना सत्ता पर बैठे कोई जनप्रतिनिधि है ना विपक्ष में.. शहर के तमाम जिम्मेदार हुक्मरान एवं खुद को शहर का हितैषी बताने वाले वालों ने इस तालाब को किनारे करने का फैसला कर लिया या फिर तालाब के रूप में धरोहरों को पर्यावरण और विरासत को सहेजने वाली सारी बातें नौटंकी है?
गत छठ के अवसर पर जब इस तालाब की सफाई हुई तो एकबारगी लगा की इसकी किस्मत सुधर जाएगी परंतु उल्लेखनीय है कि इस समय भी यहां के लोगों में इस बात को लेकर चर्चा था कि यह सब दिखावा है केवल वर्ष में एक बार छठ के अवसर पर इसकी सफाई होती है यह बात काश झूठी साबित होती पर सचमुच यह बात और तालाब को लेकर व्यवस्था के प्रति बनी जन धारणा वर्तमान में कितना सच साबित हो रही है यह जाकर देखा जा सकता है और तस्वीरों से साफ है ।
गंदगी के साथ असामाजिक तत्वों का डेरा
हम पहले भी इस समस्या पर खबरें प्रकाशित कर चुके हैं की गंगा मुंडा तालाब असामाजिक तत्वों का डेरा बना है शराब ,बीयर की रोज खाली बोतलें यहां फेंकी जाती है । उससे भी असामान्य और भयावह बात यह है की इन शराब और बीयर की बोतलों को तलाब में भी फेंका जा रहा है पर निगम प्रशासन व जिम्मेदार प्रशासन भी मौन है वही पर्यावरण से जुड़े लोग भी शायद आंखें बंद किए बैठे हैं !
दूरदर्शिता के साथ योजना ही नहीं संवेदनशीलता के अभाव में अपने अस्तित्व से जूझ रहा तालाब
वर्षों से उपेक्षा झेल रहे इस तालाब को एक बार देखकर ही समझा जा सकता है कि इसीलिए कर किसी तरह की कोई योजना को अमलीजामा लंबे समय से नहीं पहनाया गया है वही जिस तरह से यह अव्यवस्था रखरखाव और विसंगतियों से जूझ रहा है वह यह बताता है कि दूरदर्शिता के अभाव ने इस तालाब के लिए मुश्किलें खड़ी की है और शायद इसलिए ऐसा है क्योंकि तलाब रूपी इन धरोहरों को आने वाले पीढ़ियों के लिए बचाकर रखने संवेदनशीलता का पूर्णता अभाव है।
मछुवा समिति ने जजर्र नाव की मरम्मत की
गंगा मुंडा तालाब में लंबे समय से जर्जर अवस्था में पड़े नाव को मछुआ समिति के लोगों ने खुद मिलकर मरम्मत किया है उनका कहना है कि उन्होंने जाल फेंकने यानी कि मछली पकड़ने इसकी खुद ही अपने व्यय से मरम्मत की है।